Menu
blogid : 730 postid : 149

“गुरु-शिष्य” इस रिश्ते को कोई और नाम न दो…

Apni Aawaz
Apni Aawaz
  • 34 Posts
  • 153 Comments

गुरु शिष्य का रिश्ता सदैव से दिव्य और पवित्र रहा है. आज बढ़ती हुई प्रतिद्वंदिता और व्यवसायिकता के मध्य इस रिश्ते की गरिमा और भावना लुप्त होती जा रही है. यद्यपि इसके लिए कोई एक पक्ष दोषी नहीं है. फिर भी बड़ा दोष शिष्य का ही माना जायेगा कि उसने अपने स्वार्थ के लिए गुरु को गुरु न मान कर शिक्षा का विक्रेता मान कर उसकी अवमानना और अवहेलना शुरू कर दी तो एक मानव शरीर लिए गुरु मानवीय दुर्बलताओं से कब तक बच सकेगा.
.
खैर आज TEACHERS DAY पर मैं सभी शिक्षको और गुरुजनों को नमन करता हूँ
और इन शब्दों के साथ गुरु-शिष्य के संबंधो के पुनर्जीवन की प्रार्थना करता हूँ.
.
गुरु पर हो विश्वास तो बात बन जाती है
वर्ना उजियारा दिन घटाटोप रात नज़र आती है.

    जब शिक्षा चेले पर ध्यान बराबर धरवाती है
    ज्ञान की पूँजी के बदले आदर की दौलत कमवाती है

चेले को गर ग्राहक समझा तो बात बिगड़ जाती है
फल की गुणवत्ता मुद्रा या गाली दिलवाती है

    गुरु को शिक्षा का विक्रेता माना तो मुसीबत आती है
    खरीदी हुई शिक्षा तो भैया बिन गारंटी के ही आती है.

    .
    .
    क्षमा सहित.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh