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“अन्ना” – देर आये दुरुस्त आये

Apni Aawaz
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जो काम अन्ना और साथियों को शरू से करना चाहिए था, उसे अब करने में निश्चित तौर से विवाद की स्थिति होना स्वाभाविक है. ये बात अन्ना टीम को अब समझ आई है तो निश्चित तौर से ‘ये देर आये मगर दुरुस्त आये’. उन्हें शुभकामनाये और धन्यवाद.
कीचड में या मेनहोल में उतरे बगैर उसकी साफ़ सफाई संभव नहीं है.
और जो लोग कीचड में उतरे बगैर सफाई चाहते है तो वे केवल अव्यवहारिक दिशा निर्देश ही दे सकते है. गंदगी साफ़ करने का नाटक कर सकते है, गंदगी साफ़ करने में लाखो पैसा बर्बाद कर सकते है.मगर वास्तव में गंदगी साफ़ नहीं करा सकते क्योकि गंदगी को साफ़ करने के लिए खुद को भी गन्दा करना से परहेज़ नहीं होना चहिये. ये बात अन्ना और उनके साथियों को देर से समझ आई है और जनता में उनकी छवि भी धूमिल हुई है क्योकि ये तस्वीर उनके द्वारा पूर्व में जनता के समक्ष खींची तस्वीर से अलग है अन्ना के इस कदम को यदि देश के शिक्षित लोगो का साथ मिलेगा तो निसंदेह ये भ्रष्टाचार के अंत की ओर उठा एक साहसिक और सकारात्मक कदम होगा. भले ही जनता उन्हें अभी स्वार्थी और उनका पूर्व निश्चित पैतरा समझ रही है. पर सच ये है उन्होंने अब सही कदम बढाया है
ये बात दीगर है कि उनके तमाम अनशन, ताम झाम के साथ ईमानदारी का ढोल पीटना और दूसरो से साफ़ सफाई की उम्मीद (संविधान में संशोधन) सरीखे कार्यक्रमों ने चर्चित तो कर दिया मगर दूसरे रूप में (केवल आदर्शवादी) और अब राजनैतिक मैदान में कूदने की तय्यारी के निर्णय ने अन्ना टीम को कई कदम पीछे कर दिया है. पर ये समय अस्थायी है. हम एक सुनहरी सुबह के पथ पर अग्रसर है.
अब अन्ना और उनकी टीम पूरे देश से ईमानदार, समझदार, दूरदृष्टि, व्यवहारिक, शिष्ट और शिक्षित लोगो की टीम बना कर पूरी तय्यारी से चुनाव लडेगी तो निश्चित तौर से सफलता मिलेगी मगर उन्हें संयम बरतना होगा क्योंकि इसमें आशातीत सफलता देर से मगर निश्चित रूप से मिलेगी.
कहना न होगा कि ऐसे लोगो की देश में कमी नहीं है बस ऐसे लोग आज तक देश के मुद्दों को संसद के बजाए काफी हॉउस और आफिस कैंटीन में ही डिस्कस करना पसंद करते है. इन्हें इनकी सुसुप्तावस्था से निकाल कर जागरूक करना होगा.
अन्ना टीम को शिक्षित समाज के लोगो को जाग्रत करना होगा कि देश सेवा के लिए केवल आई.ए.एस., पी.सी.एस., इंजीनियर, डाक्टर, एम्.बी.ए. आदि के अतिरिक्त देश और देश के संविधान की रक्षा के लिए एम्.पी.,एम्.एल.ए, पार्षद आदि के लिए भी आगे आना भी देश सेवा के लिए एक बेहतर और सम्मानित विकल्प है. ये पद केवल गुंडे, मवालियों, नकारे, बेईमान, भ्रष्टाचारियों, बैकबेन्चर्स और स्वार्थियों के लिए ही नहीं है क्यों कि आज तक ये जगह हम ऐसे ही लोगो के लिए ही रिक्त छोड़ते आये है जिसका फायदा उठा कर ये लोग देश और देश की संस्कृति को मिटटी में मिला रहे है.
‘जागो भारत जागो’ का ये अर्थ कदापि नहीं है कि आज के भ्रष्ट नेताओं को चप्पल से मारा जाये या बम से उड़ा दिया अपितु हमें ऐसे निकम्मे और गैरजिम्मेदार लोगो हटाकर वहां खुद अपने को स्थापित करना है तभी हम भयमुक्त और भ्रष्ट्मुक्त राष्ट्र के दर्शन कर सकेंगे.
आमीन.

    ‘जागा अन्ना जागा’ – ‘छोडो कुर्सी छोडो – भ्रष्टाचारियों कुर्सी छोड़ो’
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