Apni Aawaz
- 34 Posts
- 153 Comments
वासना की तपन लगी हर वय को,
रिश्तों के ढांचे चरमराये.
.
कूकने से अब कोयल भी डरती है,
आम कहीं सच्ची न बौरा जाये.
.
कलुषित हो रहे है अब जो सम्बन्ध,
मासूमों के दिल दहलायें.
.
‘बचपन’ चिहुंका यौवन की देहरी पर,
क्या पहने? क्या ओढ़े? कित डोले, क्यूं इठलायें?
.
मेला ठेला हो या हो सावन बसंत,
उन्मुक्त सा वो कैसे हँसे? कैसे मुस्काए?
Read Comments