- 34 Posts
- 153 Comments
यूँ तो प्रेम का अस्तित्व व् प्रसार किसी विशेष दिवस अथवा व्यक्ति विशेष का मोहताज़ नहीं हैं पर संत वैलेंटाइन के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए प्रेम प्रसार का अच्छा बहाना है. वैलेंटाइन दिवस पर प्रेम का विकृत प्रदर्शन और प्रेम विरोध प्रदर्शन दोनों ही शर्मनाक और भयावह स्थिति पैदा करने वाले है. शयनकक्ष की मुद्राओ को सार्वजनिक स्थलों पर नुमाया करना प्रेम की श्रेणी में कतई नहीं आता. वही ऐसे जोड़ों के साथ क्रूरता से पेश आना भी प्रेम भावना के विरुद्ध है. वैलेंटाइन दिवस को समाज के कुछ भ्रमित युवाओं ने यौवन का खेल बना लिया है जो न तो संत वैलेंटाइन के प्रति आभार है और ना ही प्रेम के प्रति आस्था. ये आसक्त युवा केवल अवसरवादी है. प्रेम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन भी संस्कार और मूल्यों को बचाने की मुहिम नहीं अपितु अवसरवादिता का ही उदहारण है जो इस आड़ में गुंडाशक्ति, लूटपाट और ब्लैक मेल जैसे व्यवसायों को चमकाने की कोशिश हैं. वैलेंटाइन दिवस को सिर्फ दो विपरीत लिंगो के प्रति प्रेम के रूप में न मना कर समस्त जीवों से प्रेम के रूप में ही मनाना चाहिए. इस दिन हमें अवसरवादी और स्वार्थी होने से बचना चाहिए और केवल वही व्यवहार करना चाहिए जो अपने बच्चे या अपने करे तो हमें न तो शर्म आये और ना ही क्रोध.
Read Comments